महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) एक ऐसा विषय है जो आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो महिलाओं को उनके अधिकार, सम्मान, और समानता की ओर प्रेरित करता है। यह प्रक्रिया महिलाओं को न केवल अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने की स्वतंत्रता देती है, बल्कि उन्हें समाज में एक मजबूत स्थान भी दिलाती है।
महिला सशक्तिकरण का महत्व
महिला सशक्तिकरण समाज के विकास के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे न केवल अपने परिवार के लिए बेहतर निर्णय ले सकती हैं, बल्कि समाज और देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर सकती हैं। सशक्त महिलाएं बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकती हैं, जिससे उनकी और उनके परिवार की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।
महिला सशक्तिकरण के प्रमुख पहलू
- शिक्षा: शिक्षा महिला सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब एक महिला शिक्षित होती है, तो वह अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होती है और समाज में अपनी भूमिका को समझ सकती है। शिक्षा उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है और उन्हें जीवन में बेहतर विकल्प चुनने की क्षमता देती है।
- आर्थिक स्वतंत्रता: आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना महिला सशक्तिकरण का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। जब महिलाएं खुद कमाने में सक्षम होती हैं, तो उन्हें अपने और अपने परिवार के लिए निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है। यह उन्हें समाज में सम्मान और सुरक्षा दिलाने में मदद करता है।
- समानता: महिला सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है महिलाओं के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करना। समाज में महिलाओं को उनके पुरुष साथियों के बराबर अधिकार मिलने चाहिए, चाहे वह रोजगार में हो, शिक्षा में हो, या स्वास्थ्य सेवाओं में।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा: महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है। उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना जरूरी है, जहां वे बिना किसी भय के अपना जीवन जी सकें। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और जागरूकता महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक कदम
- शिक्षा का प्रसार: शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहला कदम है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर लड़की को शिक्षा प्राप्त हो और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाए।
- कौशल विकास: महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के कौशल में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकेंगी और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित कर सकेंगी।
- सामाजिक जागरूकता: समाज में महिला सशक्तिकरण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। हमें लिंग भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ना होगा और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करनी होगी।
- कानूनी अधिकारों की सुरक्षा: महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए समर्थन मिलना चाहिए। इसके लिए सरकार को सख्त कानून बनाने और उन्हें लागू करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो समाज को समृद्ध और उन्नत बनाती है। यह केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने साथ-साथ अपने परिवार, समाज, और देश को भी सशक्त बनाती हैं। हमें एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जहां हर महिला को सम्मान, समानता, और स्वतंत्रता प्राप्त हो। यही सच्चा महिला सशक्तिकरण है।
भारत में महिला सशक्तीकरण
महिला सशक्तिकरण – भारत में आधी आबादी महिलाओं की है और विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि सिर्फ कुछ लोग महिला रोजगार के बारे में बात करते हैं जबकि अधिकतर लोगों को युवाओं के बेरोजगार होने की ज्यादा चिंता है। हाल ही में प्रधानमंत्री की ‘आर्थिक सलाहकार परिषद’ की पहली बैठक में 10 ऐसे प्रमुख क्षेत्रों की चिह्नित किया गया जहां ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। दुर्भाग्य की बात यह है कि महिलाओं का श्रम जनसंख्या में योगदान तेजी से कम हुआ है।
यह लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन फिर महिला रोजगार को अलग श्रेणी में नहीं रखा गया है नेशनल सैंपल सर्वे (68 वां राउंड) के अनुसार 2011-12 में महिला सहभागिता दर 25.52% थी जो कि ग्रामीण क्षेत्र में 24.9% और शहरी क्षेत्र में मात्र 14.8% थी। जब रोजगार की कमी है तो आप महिलाओं के लिए पुरुषों के समान कार्य अवसरों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
एक पुरुष ज्यादा समय तक काम कर सकता है उसे मातृत्व अवकाश की जरूरत नहीं होती है और कहीं भी यात्रा करना उसके लिए आसान होता है निर्माण कार्यों में महिलाओं के लिए पालना घर या शिशुओं के लिए पालन की सुविधा मुहैया कराना जरूरी होता है।
ऐसे कई कारण हैं जिनसे भारत की महिला श्रमिक सहभागिता दर्ज में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है और यह दर दक्षिण एशिया में पाकिस्तान के बाद सबसे कम है। नेपाल , भूटान और बांग्लादेश में जनसंख्या के अनुपात के अनुसार महिला रोजगार ज्यादा है।
इन क्षेत्रों के पुरुष काम करने के लिए भारत आते हैं और उनके पीछे महिलाएं अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खेतों में काम करती है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मैं महिलाएं मात्र 17% का योगदान दे रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार क्रिसटीन लगार्डे का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अगर श्रम में भागीदारी करे तो भारत की GDP 27% तक बढ़ सकती है।
महिला सशक्तिकरण के लाभ – Advantages of women empowerment
महिला सशक्तिकरण के बिना देश व समाज में नारी को वह स्थान नहीं मिल सकता, जिसकी वह हमेशा से हकदार रही है। महिला सशक्तिकरण के बिना वह सदियों पुरानी परम्पराओं और दुष्टताओं से लोहा नहीं ले सकती। बन्धनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद नहीं ले सकती। स्त्री सशक्तिकरण के अभाव में वह इस योग्य नहीं बन सकती कि स्वयं अपनी निजी स्वतंत्रता और अपने फैसलों पर आधिकार पा सके।
किसी ने बहुत अच्छी बात कही है “नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों एवं कड़ियों को तोड़ने लगेगी, तो विश्व की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पाएगी।”
महिला सशक्तिकरण महिलाओं को वह मजबूती प्रदान करता है, जो उन्हें उनके हक के लिए लड़ने में मदद करता है। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। इक्कीसवीं सदी नारी जीवन में सुखद सम्भावनाओं की सदी है। महिलाएँ अब हर क्षेत्र में आगे आने लगी हैं। आज की नारी अब जाग्रत और सक्रीय हो चुकी है
महिला सशक्तिकरण के लिए योजनाएं –
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
देश की बेटियों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को शुरू किया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन करना, बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं को शोषण से बचाना, शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है. शिक्षा के साथ–साथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है.
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इस योजना का शुभारंभ 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन के नारे के साथ शुरू की गई यह योजना एक धुंआरहित ग्रामीण भारत की परिकल्पना करती है और वर्ष 2019 तक 5 करोड़ परिवारों, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को रियायती दर पर एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखती है. इस योजना से महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी विकार, वायु प्रदूषण एवं वनों की कटाई को कम करने में मदद मिलेगी.
पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
2009 में भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज संस्थानों में 50 फीसदी महिला आरक्षण की घोषणा की, सरकार के इस कार्य के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सामाजिक स्तर को सुधारने का प्रयास किया गया। जिसके द्वारा बिहार, झारखंड, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के साथ ही दूसरे अन्य प्रदेशों में भी भारी मात्रा में महिलाएँ ग्राम पंचायत अध्यक्ष चुनी गई।
सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना
प्रसव के समय गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की सुरक्षा को देखते हुए सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना शुरू की गई है. इसके तहत गर्भवती महिलाओ को प्रसव के 6 महीने बाद और बीमार नवजात शिशुओं को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिया जाता है. इस योजना के अंतर्गत अस्पतालों या प्रशिक्षित नर्स की निगरानी में प्रसव सुनिश्चित किया जाता है. प्रसव के समय होने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा उठाया जाएगा और प्रसव के बाद 6 महीने तक मां और बच्चे को निशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाएगी. इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व की गारंटी दी जाती है.
सुकन्या समृद्धि योजना
सुकन्या समृद्धि योजना को 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ किया गया है. वे सभी माता-पिता, जो अपनी बेटी की पढ़ाई और शादी के लिए पैसे जमा करना चाहते हैं, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इस योजना के तहत खाता खोलने के लिए न्यूनतम राशि 250 रुपए तथा अधिकतम राशि 1.5 लाख रुपए है. इस योजना के अंतर्गत बेटी के माता-पिता को बेटी का बैंक अकाउंट किसी राष्ट्रीय बैंक या फिर नजदीकी पोस्ट ऑफिस में खुलवाना होता हो.
यह बैंक अकाउंट बेटी के जन्म से 10 वर्ष की आयु तक खुलवाया जा सकता है. इस योजना के अंतर्गत बेटी के 14 वर्ष होने तक माता-पिता को धनराशि जमा करनी होगी. बेटी के 18 वर्ष के होने के बाद इस धनराशि का 50 फीसदी निकाला जा सकता है और बेटी के 21 वर्ष पूरा होने के बाद पूरी धनराशि निकाली जा सकती है.
समर्थ योजना
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत जरूरतमंद महिलाओं को अलग-अलग प्रकार के वस्त्र उत्पादन के गुर और उससे जुड़े कार्यों के बारे में सिखाया जा रहा है. चूंकि वस्त्र क्षेत्र में काम करने वालों में 75 फीसदी महिलाएं हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए इस योजना के अंतर्गत महिलाओं पर फोकस किया गया है. इस योजना के अंतर्गत भारत की वैश्विक बाजार में वस्त्र क्षेत्र में हिस्सेदारी भी बढ़ेगी आने वाले समय में वस्त्र उद्योग में बड़ी संख्या में कामगारों की आवश्यकता पड़ेगी.
फ्री सिलाई मशीन योजना
इस योजना का लाभ देश के शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को दिया जाता है. इसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा हर राज्य में 50000 के अधिक महिलाओं को निशुल्क सिलाई मशीन प्रदान की जाएगी. इस योजना के जरिये महिलाएं फ्री सिलाई मशीन प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकती हैं. इस योजना का लाभ 20 से 40 वर्ष की आयु की महिलाएं ही उठा सकती हैं.